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Sarjun kumar
Ambikapur , Chhattisgarh , India
नमस्कार दोस्तों! मेरा नाम सर्जुन कुमार है, मैं एक ब्लॉगर, कंटेंट क्रिएटर और शोध-आधारित लेखक हूँ, जो वित्तीय जगत, शेयर बाजार, और आर्थिक नीतियों से जुड़ी जानकारी को सारगर्भित, पारदर्शी और जनहितकारी रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मैंने इन्वेस्टमेंट बैंकिंग क्षेत्र में व्यावसायिक अनुभव प्राप्त किया है और उसके साथ ही लेखन के ज़रिए ब्लॉगिंग की दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य है कि आम नागरिकों को सरल, सटीक और भरोसेमंद जानकारी दी जाए, जिससे वे अपने निवेश और वित्तीय निर्णयों को आत्मविश्वास के साथ ले सकें।
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RBI का 5 दिसंबर का बड़ा फैसला! Rate Cut या Hold? GDP 8.2% vs Inflation 0.25%, RBI MPC Meeting Explained:

“RBI Rate Cut Coming? 5 December MPC Meeting Full Breakdown”



दोस्तों… सोचिए, एक तरफ भारत की GDP उछलकर 8.2% पर जा पहुँची है, और दूसरी तरफ महंगाई गिरकर 0.25%, यानि लगभग Zero पर! अब बड़ा सवाल उठता है— RBI क्या करेगा? क्या दरें घटेंगी? या फिर रेट्स हो जाएंगे HOLD? आज से शुरू हुई RBI की MPC मीटिंग में माहौल पूरी तरह बंटा हुआ है— अर्थशास्त्री दो खेमों में… मार्केट कन्फ्यूज… और निवेशकों में जबरदस्त उत्सुकता! तो आइए समझते हैं—5 दिसंबर की सुबह RBI आखिर कौन-सा बड़ा फैसला सुनाएगा!

RBI की MPC बैठक : क्या 5 दिसंबर को आएगा बड़ा सरप्राइज़?
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ी है। एक ओर देश की GDP तेज़ी से उछलकर 8.2% पर पहुँच गई है, जो बेहद मजबूत आर्थिक गतिविधि का संकेत देती है। दूसरी ओर महंगाई (CPI Inflation) लगभग शून्य स्तर यानी 0.25% तक गिर गई है। इन दोनों विपरीत आंकड़ों ने मार्केट, विशेषज्ञों और निवेशकों को दुविधा में डाल दिया है कि RBI आखिर इस बार क्या फैसला लेगा। आज से शुरू हुई 6-सदस्यीय MPC बैठक का अंतिम निर्णय 5 दिसंबर की सुबह 10 बजे घोषित किया जाएगा, और इस पर सभी की नज़र टिकी हुई है।

GDP और महंगाई के ये दो संकेतक इस समय मार्केट को साफ-साफ दो खेमों में बाँट रहे हैं। आमतौर पर तेज़ GDP के साथ ब्याज़ दरें कम करना कठिन हो जाता है, क्योंकि अर्थव्यवस्था पहले से ही तेज़ चल रही होती है। लेकिन जब महंगाई लगभग “Zero Zone” में पहुँच जाए, जैसा कि अभी हुआ है, तो RBI के पास रेट कट का अवसर भी बन जाता है। यही वजह है कि विशेषज्ञों के तर्क दो दिशाओं में जा रहे हैं—कुछ रेट कट की उम्मीद लगाए हुए हैं, जबकि कुछ का कहना है कि फिलहाल रेट होल्ड ही बेहतर है।

रेट कट की संभावना को समर्थन देने वाले अधिकांश अर्थशास्त्री कुछ महत्वपूर्ण कारणों की ओर इशारा करते हैं। Nominal GDP अभी भी 9% से नीचे है, जिसके कारण विकास की रफ्तार को बनाए रखने के लिए थोड़ी रेट राहत फायदेमंद हो सकती है। साथ ही, हाल में GST कट की चर्चा से खपत (Consumption) बढ़ने की उम्मीद है। FY26 की दूसरी छमाही में सरकारी खर्च धीमा होने की आशंका और CPI महंगाई के 0.25% तक गिरने से RBI के पास “सुरक्षा के तौर पर छोटा रेट कट” (Insurance-style Cut) देने की गुंजाइश दिखाई देती है।

वहीं दूसरी तरफ एक बड़ा समूह मानता है कि इस समय रेट में बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है। GDP ग्रोथ मजबूत है, शहरी खपत तेजी से बढ़ रही है और ग्रामीण मांग में भी वापसी दिख रही है। निजी निवेश का मूड बेहतर होता दिख रहा है और बैंकों में क्रेडिट डिमांड लगातार बढ़ रही है। ऐसे में RBI यह फैसला ले सकता है कि अर्थव्यवस्था को अभी किसी अतिरिक्त प्रोत्साहन की जरूरत नहीं है, और वह रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर ही रखे। कई विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे हैं कि इस बार असली फोकस “रेट” नहीं, बल्कि RBI की लिक्विडिटी गाइडेंस होगी, क्योंकि आसान लिक्विडिटी ही ब्याज़ दरों के प्रभावी असर को बढ़ाती है।

अब असली सवाल यही है—क्या RBI 5 दिसंबर को रेट में कटौती करेगा, या फिर लगातार तीसरी बार रेपो रेट होल्ड रहेगा? यह फैसला मार्केट, ब्याज़ दरों, बैंकिंग सेक्टर और निवेशकों—सभी पर बड़ा प्रभाव डालेगा। आप किस तरफ हैं? क्या आपको लगता है कि इस समय रेट कट ज़रूरी है या स्थिति को देखते हुए रेट स्थिर रहना चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं और ऐसे ही आर्थिक अपडेट के लिए ब्लॉग को फॉलो करना न भूलें।

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