Editors Choice

8/recent/post-list

My profile

मेरी फ़ोटो
Sarjun kumar
Ambikapur , Chhattisgarh , India
नमस्कार दोस्तों! मेरा नाम सर्जुन कुमार है, मैं एक ब्लॉगर, कंटेंट क्रिएटर और शोध-आधारित लेखक हूँ, जो वित्तीय जगत, शेयर बाजार, और आर्थिक नीतियों से जुड़ी जानकारी को सारगर्भित, पारदर्शी और जनहितकारी रूप में प्रस्तुत करता हूँ। मैंने इन्वेस्टमेंट बैंकिंग क्षेत्र में व्यावसायिक अनुभव प्राप्त किया है और उसके साथ ही लेखन के ज़रिए ब्लॉगिंग की दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य है कि आम नागरिकों को सरल, सटीक और भरोसेमंद जानकारी दी जाए, जिससे वे अपने निवेश और वित्तीय निर्णयों को आत्मविश्वास के साथ ले सकें।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आयकर: कौन सी कर व्यवस्था आपके लिए बेहतर है?

 

वित्तीय वर्ष 2025-26 का आयकर: पुरानी या नई व्यवस्था, आपके लिए क्या बेहतर है?

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आयकर: कौन सी व्यवस्था आपके लिए सही रहेगी?

हर साल,सरकार जब बजट पेश करती है, तो हमारे आयकर के नियम बदलते हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 भी इससे अलग नहीं है। इस वर्ष भी, आपके पास अपनी आय पर टैक्स भरने के दो विकल्प हैं - पुरानी कर व्यवस्था और नई कर व्यवस्था। दोनों ही रास्तों के अपने फायदे और नुकसान हैं, और आपके लिए कौन सा सही है, यह आपकी अपनी वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। आइए, इन दोनों रास्तों को आसान भाषा में समझते हैं और देखते हैं कि आपकी जेब पर किसका क्या असर पड़ेगा।

सरकार के दो रास्ते: पुरानी और नई कर व्यवस्था

मान लीजिए, सरकार आपको एक चौराहे पर खड़ा कर देती है जहाँ से दो रास्ते जाते हैं - एक पुराना और एक नया।

पुराना रास्ता:

यह उन लोगों के लिए है जो सालों से टैक्स भरते आ रहे हैं और अलग-अलग तरह की बचत और निवेश योजनाओं में पैसा लगाते हैं। इस रास्ते पर आपको कई तरह की छूट मिलती हैं, जैसे कि आपके द्वारा किए गए निवेश (जैसे PPF, NSC), होम लोन का ब्याज, और कुछ अन्य खर्च। हालाँकि, इस रास्ते पर जो टैक्स की दरें हैं, वे थोड़ी ज़्यादा हो सकती हैं। यह उन लोगों के लिए अच्छा है जो इन छूटों का फायदा उठाकर अपनी कर योग्य आय को कम करते हैं।

नया रास्ता:

यह रास्ता थोड़ा अलग है। यहाँ पर टैक्स की दरें आमतौर पर पुरानी व्यवस्था से कम होती हैं। लेकिन, इस रास्ते पर चलने का मतलब है कि आपको पुरानी व्यवस्था में मिलने वाली ज़्यादातर छूटों को छोड़ना होगा। यह रास्ता उन लोगों के लिए ज़्यादा आकर्षक हो सकता है जो ज़्यादा निवेश नहीं करते या जिनकी आय का ज़्यादा हिस्सा कर योग्य होता है और वे कम दर पर टैक्स भरना चाहते हैं।

वित्तीय वर्ष (finance year)-2025-26 के लिए नए टैक्स के नियम (नई कर व्यवस्था)

यदि आप नया रास्ता चुनते हैं, तो फाइनेंस ईयर 2025-26 में टैक्स इस तरह से लगेगा

आपकी सालाना कमाई (₹ में) टैक्स की दर (%)
0 से 4,00,000 तक 0%
4,00,001 से 8,00,000 तक 5%
8,00,001 से 12,00,000 तक 10%
12,00,001 से 16,00,000 तक 15%
16,00,001 से 20,00,000 तक 20%
20,00,001 से 24,00,000 तक 25%
24,00,001 से ज़्यादा 30%

एक अच्छी बात यह है कि अगर आपकी कुल आय ₹12 लाख तक है, तो आपको शायद कोई टैक्स नहीं देना होगा, क्योंकि सरकार ₹60,000 तक की छूट देती है।

पुरानी भरोसेमंद नियम (पुरानी कर व्यवस्था)

अगर आपकी उम्र 60 साल से कम है:

आपकी सालाना कमाई (₹ में) टैक्स की दर (%)
0 से 2,50,000 तक 0%
2,50,001 से 5,00,000 तक 5%
5,00,001 से 10,00,000 तक 20%
10,00,001 से ज़्यादा 30%

वरिष्ठ नागरिक (60 साल से ज़्यादा लेकिन 80 साल से कम):

आपकी सालाना कमाई (₹ में) टैक्स की दर (%)
0 से 3,00,000 तक 0%
3,00,001 से 5,00,000 तक 5%
5,00,001 से 10,00,000 तक 20%
10,00,001 से ज़्यादा 30%

अति वरिष्ठ नागरिक (80 साल से ज़्यादा):

आपकी सालाना कमाई (₹ में) टैक्स की दर (%)
0 से 5,00,000 तक 0%
5,00,001 से 10,00,000 तक 20%
10,00,001 से ज़्यादा 30%

अतिरिक्त शुल्क (अधिभार) और शिक्षा/स्वास्थ्य उपकर

अगर आपकी कमाई एक निश्चित सीमा से ज़्यादा है (जैसे ₹50 लाख), तो आपको टैक्स के ऊपर कुछ और पैसा भी देना होगा, जिसे 'अधिभार' कहते हैं। इसके अलावा, जो भी आपका टैक्स बनता है, उस पर 4% का 'स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर' भी लगता है।

उदाहरण से समझें कौन-सी व्यवस्था आपके लिए बेहतर है

🌟 उदाहरण 1: राजू – जो निवेश करता है

कमाई: ₹10 लाख प्रति वर्ष

निवेश और छूटें:

  • धारा 80C के तहत PPF और ELSS में निवेश: ₹1.5 लाख
  • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (धारा 80D): ₹25,000
  • होम लोन पर ब्याज (धारा 24): ₹2 लाख

▶ पुरानी कर व्यवस्था में:

राजू की कर योग्य आय = ₹10,00,000 – ₹1,50,000 – ₹25,000 – ₹2,00,000 = ₹6,25,000

टैक्स: ₹39,000 (उपकर सहित)

▶ नई कर व्यवस्था में:

कर योग्य आय = ₹10,00,000 (छूट नहीं मिलती)

टैक्स: ₹41,600 (उपकर सहित)

🔍 निष्कर्ष:

पुरानी व्यवस्था राजू के लिए ₹2,600 सस्ती है। यानी जिनका निवेश अच्छा है, उनके लिए पुरानी व्यवस्था बेहतर।

🌟 उदाहरण 2: सीमा – जो निवेश नहीं करती

कमाई: ₹10 लाख प्रति वर्ष

निवेश और छूटें: कोई नहीं

▶ पुरानी कर व्यवस्था में:

कर योग्य आय = ₹10,00,000

टैक्स: ₹1,17,000 (उपकर सहित)

▶ नई कर व्यवस्था में:

कर योग्य आय = ₹10,00,000

टैक्स: ₹41,600 (उपकर सहित)

🔍 निष्कर्ष:

नई व्यवस्था सीमा के लिए ₹75,400 की बचत है। यानी निवेश न करने वालों के लिए नई व्यवस्था बेहतर है।

तो, आपके लिए कौन सा रास्ता सही है?

यह तय करना कि आपको कौन सी कर व्यवस्था चुननी चाहिए, थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आपको अपनी पूरी वित्तीय स्थिति को देखना होगा:

  • आपकी कमाई कितनी है?
  • आप कितना निवेश करते हैं और क्या आपको टैक्स में छूट मिलती है? (जैसे 80C के तहत, होम लोन पर)
  • आपकी उम्र क्या है?

अगर आप ज़्यादा निवेश करते हैं और आपको कई तरह की टैक्स छूट मिलती हैं, तो शायद पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए ज़्यादा फायदेमंद हो सकती है, भले ही उसमें टैक्स की दरें थोड़ी ज़्यादा हों। वहीं, अगर आप ज़्यादा निवेश नहीं करते या आप कम टैक्स दर का फायदा उठाना चाहते हैं, भले ही आपको छूटें न मिलें, तो भी नया कर व्यवस्था आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है।

समझदारी से करें चुनाव

finance year 2025-26 के लिए अपनी कर व्यवस्था का चुनाव करते समय जल्दबाजी बिल्कुल न करें। अपनी इनकम, अपने निवेश और अपनी आवश्यकताओं को ध्यान से समझें। आप यदि चाहें तो ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं या किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह ले सकते हैं। सही चुनाव करके आप अपनी मेहनत की कमाई का ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा बचा सकते हैं!

इस आर्टिकल का उद्देश्य यही है कि आप अपने लिए सही कर व्यवस्था को समझदारी से चुनें। आपकी आय और निवेश की आदतों के अनुसार किया गया सही चुनाव आपको न केवल टैक्स बचाने में मदद करेगा, बल्कि आपके वित्तीय भविष्य को भी सुरक्षित बनाएगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ